Friday, February 24, 2017

शिवालिक क्षेत्र गूंजा भोले नाथ के जयकारों से


शिवरात्रि के अवसर पर आदि बद्री नारायण मंदिर में स्थित केदारनाथ शिवरात्रि पर्व पर एक धार्मिक कार्यक्रम आयोजन किया गया। श्री आदि केदारनाथ मंदिर में सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। शिव लिंग की पूजा अर्चना व जल अभिषेक कर पूरे विधि विधान से उनका श्रृंगार किया गया व यह कार्य राजेश्वर शास्त्री, देवकी नंदन शास्त्री, प्रेम शास्त्री के द्वारा पूरे विधि विधान से करवाया गया।
मंदिर के महंत राजेश्वर शास्त्री ने बताया कि आदि बद्री क्षेत्र में स्थित केदारनाथ शिव लिंग बहुत ही प्राचीन है धार्मिक दृष्टिï से इसका बहुत महत्व है। यहां शिवरात्रि व हर सोमवार को शिव की पूजा अर्चना करना व जल अभिषेक करना अधिक महत्व कारण है, इसका मुख्य कारण यह है कि इस आदि बद्री नारायण मंदिर में स्थित केदारनाथ शिव लिंग प्रतिदिन चार से छ ओस जल का ग्रहण करता है जिसके कारण इसकी महत्ता और आशीर्वाद दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है। महंत ने बताया कि शिवरात्रि के अवसर पर चारों पहर की पूजा के पश्चात आदि केदारनाथ का श्रृंगार करके जल हरि ओर घंटी को भोले नाथ के ऊपर लगा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि देर शाम को भष्मांग आरती की जाएगी। उन्होंने बताया कि भगवान शिव की पूजा अर्चना से मानव जीवन में आने वाले सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। पूजा अर्चना करने से पूरा परिवार को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। जिससे पूरे परिवार में सुख शांति व कुबेर देवता का वास होता है। इस मौके पर केदारनाथ मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया जो कि देर शाम तक चलता रहा । इस मौके पर आदि बद्री नारायण मंदिर व केदारनाथ मंदिर में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के द्वारा श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।

*महा शिव का विशेष महत्व*
देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्री महाशिवरात्रि का व्रत विशेष महत्व रखता हैं। यह पर्व फाल्गुन कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न हों, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं। महा शिव रात्रि के दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन, शिव कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व उँ नम: शिवाय का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं।
*शिवरात्री व्रत की महिमा*
इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि इस व्रत को जो जन करता है, उसे सभी भोगों की प्राप्ति के बाद, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत सभी पापों का क्षय करने वाला है, व इस व्रत को लगातार 14 वर्षो तक करने के बाद विधि-विधान के अनुसार इसका उद्धापन कर देना चाहिए.
*महाशिवरात्री व्रत का संकल्प*
व्रत का संकल्प सम्वत, नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम व गोत्रादि का उच्चारण करते हुए करना चाहिए। महाशिवरात्री के व्रत का संकल्प करने के लिये हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि सामग्री लेकर शिवलिंग पर छोड दी जाती है। इस व्रत में चारों पहर में पूजन किया जाता है। प्रत्येक पहर की पूजा में उँ नम: शिवाय व शिवाय नम: का जाप करते रहना चाहिए। अगर शिव मंदिर में यह जाप करना संभव न हों, तो घर की पूर्व दिशा में, किसी शान्त स्थान पर जाकर इस मंत्र का जाप किया जा सकता हैं। चारों पहर में किये जाने वाले इन मंत्र जापों से विशेष पुन्य प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त उपावस की अवधि में रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर अत्यन्त प्रसन्न होते है।
इस मौके पर मंदिर प्रागंण में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जो कि देर शाम तक चलता रहा। 

Monday, November 14, 2016

प्रसिद्ध, ऐतिहासिक एवं धार्मिक कपाल मोचन मेला पूर्ण श्रद्धा, उल्लास के साथ हुआ सम्पन्न



इस बार मेले में लगभग 7 लाख श्रद्धालुओं ने तीनों सरोवरों में स्नान किया और सभी मंदिरों और गुरूद्वारों में पूजा अर्चना की एवं मत्था टेका। देश के अन्य भागों विशेषकर पंजाब से भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान के उपरांत अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया है। हरियाणा प्रांत के पड़ोसी शहरों जैसे पटियाला, मुहाली, राजपुरा व अन्य आसपास के शहरों व स्थानीय श्रद्धालुओं ने मेले में आकर सरोवरों में स्नान करना व पूजा अर्चना करना शुरू कर दिया है जो 14 नवम्बर की शाम तक जारी रहा।
इस पवित्र धाम पर स्थित कपाल मोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरज कुण्ड में विभिन्न प्रांतों से आए अलग-अलग धर्मो एवं जातियों के श्रद्घालुओं ने 13 नवम्बर की रात्रि को 12 बजे के उपरांत शुरू हुई कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर मुख्य स्नान आरम्भ किया। मेले में आए विभिन्न धर्मो के श्रद्घालु तीनों सरोवरों में स्नान करने के लिए एक दूसरे का पल्लू पकड़ रक्षा पंक्ति बनाकर एक सरोवर से दूसरे सरोवर की ओर बढ़ रहे थे। यह दृश्य बड़ा ही मनोहारी था, क्योंकि प्रत्येक श्रद्घालु ने प्रत्येक सरोवर पर स्नान कर व दीप जलाकर मन्नतें मांगी व पहले मांगी गई मन्नतों के पूर्ण होने पर पूजा-अर्चना की। मंदिरों, गुरूद्वारों और पवित्र सरोवरों के घाटों पर प्रशासन द्वारा लगाए गए बल्ब व लडिय़ों ने रात्रि को प्रकाशमय बनाया हुआ था। श्रद्धा का आलम यह था कि लोग सर्दी के बीच भी तीनों सरोवरों में स्नान कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने तीनों सरोवरों के किनारों पर दीप दान किया। लोगों की श्रद्धा देखते ही बनती थी क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी हैसियत के हिसाब से सरोवरों के किनारे पर दीप दान कर रहा था। श्रद्घा, भक्ति और विश्वास का यहां अदभूत नजारा देखने को मिल रहा था, कुछ परिवार छोटे-छोटे बच्चों के साथ सर्दी में स्नान कर रहे थे। किसी के भी चेहरे पर मजबूरी या सर्दी के भाव देखने को नहीं मिल रहे थे क्योंकि श्रद्धालुओं में श्रद्धा का जज्बा इतना ज्यादा था कि उन्हें केवल यह सब पूजा की भांति लग रहा था। इनमें से बहुत से श्रद्धालु ऐसे भी थे जो किसी न किसी मन्नत के पूरा होने पर यहां आए थे क्योंकि कपाल मोचन का मेला इस बात के लिए प्रसिद्ध है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु इन सरोवरो में स्नान करते हैं।
प्रशासन द्वारा कपाल मोचन मेले के सूचारू संचालन के व्यापक प्रबंध किए गए और प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी दिन रात मेला में अपनी अपनी डयूटी पर तैनात रहे। मेले में इतनी भारी भीड़ के बावजूद भी कहीं भी किसी तरह की असुविधा सामने नहीं आई। प्रत्येक श्रद्धालु ने सभी सरोवरों और सभी मंदिरों में भली प्रकार स्नान और पूर्ण विधिविधान से पूजा की। कपाल मोचन मेले में पंजाब से आए श्रद्वालूओं की संख्या सबसे ज्यादा रही। प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों, सूफी-संतों व गुरूओं की धरती रहे कपाल मोचन तीर्थ राज की यात्रा करने में विभिन्न धर्मो एवं सम्प्रदायों के लोगों की एक विशेष आस्था है। ऐसी मान्यता है कि कपाल मोचन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य के जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते हैं। ऋण मोचन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त हो जाता है और सूरज कुण्ड सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ के तीनों प्रसिद्घ एवं धार्मिक सरोवर मानव जाति को अन्न, धन व वैभव देने वाले माने जाते हैं। कपाल मोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान करने वाले लाखों श्रद्घालु ऐसे भी थे, जो पिछले कई वर्षो से लगातार यहां आ रहे हैं और उन्हें उनकी श्रद्घा का फल भी मिला है। Crtsy:diproynr